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Andhera Ja Raha Hai
Nishank, Ramesh Pokhariyal (Autor)
·
Prabhat Prakashan Pvt Ltd
· Tapa Dura
Andhera Ja Raha Hai - Nishank, Ramesh Pokhariyal
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Reseña del libro "Andhera Ja Raha Hai"
आज हमारे जीवन से आनंद सूख सा रहा है और यह प्रक्रिया सतत गतिमान है। मेरा प्रयास रहेगा कि हम इस प्रवाह को रोक सकें। इस महायज्ञ में हम सभी अपनी-अपनी समिधाओं से अपना बचाव कर सकते हैं। मूलतः साहित्य का भी यही दायित्व है। वह एक ओर हमें अनुशासित करता है तो दूसरी ओर हमें जीवन का शिष्टाचार भी सिखाता है। अपने भीतर के सौंदर्य और गहराई को निहारने की एक अनूठी प्रक्रिया इन क्षणिकाओं में निरंतर प्रवाहमान है, साथ ही यह प्राणों की ऊर्जा के अपव्यय का समापन भी करती है। क्षणिकाओं के संदर्भ में यह मेरा पहला प्रयास है। जीवनानुभूतियों के लघुत्तम कलेवर को मैंने इस प्रकार परोसने का प्रयास किया है कि उनकी कसावट को प्रत्येक सहृदय अनुभव कर सके। यों भी संबंधों के संबंध में अपने ही धागों से बुनावट करनी होती है। ये क्षणिकाएँ जैसी हैं, बिल्कुल अपने जैसी हैं। धीरज इनका ध्रुव-बिंदु है और उनमें व्यक्तित्व का ठहराव एकनिष्ठ स्वयं में तल्लीन लगभग अनियारे जीवन की संवेदनात्मक अनुभूति हैं। आशा है पाठकवृंद को मेरी अनुभूतियाँ अच्छी लगेंगी।
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El libro está escrito en Hindi.
La encuadernación de esta edición es Tapa Dura.
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