Compartir
Kaliyug Sarvashreshtha Hai
Mahayogi Buddha Puri Swami
(Autor)
·
Prabhat Prakashan Pvt. Ltd.
· Tapa Blanda
Kaliyug Sarvashreshtha Hai - Swami, Mahayogi Buddha Puri
Sin Stock
Te enviaremos un correo cuando el libro vuelva a estar disponible
Reseña del libro "Kaliyug Sarvashreshtha Hai"
सृष्टि के विकास क्रम में चार युगों का चक्र चलता है-सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलियुग। प्रत्येक युग में धर्म का कुछ हृस होते-होते कलियुग में अधर्म अपने चरम पर पहुँच जाता है। कलियुग के बाद सतयुग का प्रादुर्भाव होता है, पर कैसे? क्या रहस्य है? अधर्म की वृद्धि से एकदम धर्मयुक्त सतयुग का कैसे प्रादुर्भाव होता है? इसमें क्या रहस्य है? कौन सा ईश्वरीय विधान छुपा हुआ है और उसका कलियुग में रहते हुए ही किन साधनाओं द्वारा प्रकट होना संभव है? शास्त्र कहते हैं कि कलियुग के बाद पुनः धर्मयुग अर्थात् सतयुग आएगा ही। इतना ही नहीं, महाभारत तथा अनेक पुराणों में लिखा है कि कलियुग सर्वश्रेष्ठ है। यह पुस्तक एक ओर शास्त्रों के इन गंभीर रहस्यों को अत्यंत सरल भाषा में और उपयुक्त प्रमाणों तथा युक्तियों के माध्यम से स्पष्ट करती है तो दूसरी ओर बताती है कि कलियुग के अवगुणों से कैसे बचना है और गुणों को कैसे धारण करना है? ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र-इन वर्णों का क्या महत्त्व है? जीवन का लक्ष्य क्या है और उसकी प्राप्ति हेतु किन स्तरों को पार करना होता है? धर्म का वास्तविक स्वरूप क्या है? उत्तरोत्तर धर्म की व्यापकता में साधक की चेतना का प्रवेश कैसे संभव
- 0% (0)
- 0% (0)
- 0% (0)
- 0% (0)
- 0% (0)
Todos los libros de nuestro catálogo son Originales.
El libro está escrito en Hindi.
La encuadernación de esta edición es Tapa Blanda.
✓ Producto agregado correctamente al carro, Ir a Pagar.